राजधानी रायपुर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। 12वीं कक्षा की एक इतिहास की किताब पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस किताब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। उनका कहना है कि यह किताब सिर्फ कांग्रेस नेताओं की गाथाओं से भरी हुई है और इसमें एकतरफा जानकारी दी गई ह
‘गलत जानकारी बच्चों तक नहीं पहुंचने देंगे’
शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि छात्रों को किसी भी सूरत में पक्षपाती या गलत जानकारी नहीं दी जाएगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर गलती से जहर खरीद भी लिया जाए, तो उसे खाया नहीं जाता।” उन्होंने यही तर्क इस किताब पर भी लागू किया और साफ किया कि भले ही किताब छप चुकी हो, उसे छात्रों में वितरित नहीं किया जाएगा।
4900 किताबें छप चुकी, अब होंगी रद्दी में
इस विवादित किताब का नाम ‘आजादी का स्वर्णिम इतिहास’ है। जानकारी के अनुसार, इस पुस्तक की करीब 4900 प्रतियां छप चुकी थीं। लेकिन अब शिक्षा विभाग ने इन सभी किताबों को रद्दी में डालने का निर्देश दे दिया है। मंत्री ने कहा कि पैसे भले ही खर्च हो चुके हों, लेकिन बच्चों को गलत जानकारी नहीं दी जाएगी।
सिर्फ कांग्रेस नेताओं का ज़िक्र, भाजपा नेताओं की अनदेखी

विवाद की जड़ यह है कि किताब में पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे कांग्रेस के नेताओं के फोटो और विवरण शामिल किए गए हैं। लेकिन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कहीं कोई ज़िक्र नहीं है। यही वजह है कि भाजपा सरकार इस किताब को पक्षपातपूर्ण मान रही है।
शिक्षा मंत्री का सख्त रुख
मदन दिलावर ने कहा कि इस तरह की एकतरफा जानकारी से बच्चों की सोच प्रभावित हो सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस किताब की सामग्री छात्रों की परीक्षा में शामिल नहीं की जाएगी। उनका कहना है कि ऐसी पुस्तकों का कोई शैक्षणिक मूल्य नहीं है जो सिर्फ एक पक्ष की कहानी कहती हों।
अब राजनीतिक घमासान तय
अब सवाल यह उठ रहा है कि इस पूरे विवाद पर विपक्ष क्या रुख अपनाएगा। क्या इसे शिक्षा के नाम पर राजनीतिक हस्तक्षेप माना जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह संग्राम और कितना लंबा चलता है।
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