भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा:
“मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुख हुआ। मनोज कुमार भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे। देशभक्ति उनकी फिल्मों में झलकती थी। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
प्रधानमंत्री मोदी के इस ट्वीट से साफ है कि उन्होंने भी मनोज कुमार के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
मनोज कुमार की फिल्मों में देशभक्ति का भाव हमेशा प्रमुख रहा
मनोज कुमार की फिल्मों में विविधता के साथ-साथ एक मजबूत देशभक्ति की भावना देखने को मिलती है। उनके अभिनय में अलग-अलग शेड्स नजर आते हैं। एक तरफ फिल्म 10 नंबरी में वह एक ठग की भूमिका निभाते हैं, तो दूसरी ओर उपकार में वह एक बड़े भाई की भूमिका में हैं जो देश और परिवार दोनों को बराबर महत्व देता है।
फिल्म क्रांति में वह एक क्रांतिकारी के रूप में सामने आते हैं, जहां उनकी दमदार अदायगी दिलीप कुमार के समकक्ष खड़ी नजर आती है। वहीं रोटी कपड़ा और मकान में वह एक संघर्षरत बड़े भाई की भूमिका निभाते हैं, जो उस दौर की सामाजिक ज़रूरतों—रोटी, कपड़ा और मकान—को दर्शाते हैं।
एक शोमैन की तरह किया हर भूमिका में एक्सपेरिमेंट

मनोज कुमार ने न सिर्फ अभिनय किया बल्कि स्क्रिप्टिंग, डायरेक्शन और प्रोडक्शन में भी खुद को साबित किया। उनकी फिल्मों का एक खास थीम हमेशा रहा—देशभक्ति। उन्होंने देश और समाज की समस्याओं को केंद्र में रखकर कहानियां रचीं, लेकिन देश के प्रति प्रेम और समर्पण उनकी फिल्मों का मूल भाव रहा।
रोटी कपड़ा और मकान आज़ादी के बाद की उस लड़ाई को दिखाती है जिसमें आम लोग जीवन की बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहे हैं। 10 नंबरी में वह एक रॉबिनहुड जैसे किरदार में हैं, जो गैरकानूनी धंधों में लिप्त अमीरों पर वार करते हैं।
फिल्म सन्यासी में वह गेरुआ वस्त्रों में नजर आते हैं और फिर से समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं। बेईमान में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें अवॉर्ड भी मिला। क्रांति और आदमी जैसी फिल्मों में उन्होंने दिलीप कुमार के साथ स्क्रीन शेयर किया और फिर से देशभक्ति की थीम को दर्शाया।
जीवन का फलसफा भी था फिल्मों में
हालांकि उन्होंने अपने भाई और बेटे को लॉन्च करने के लिए कुछ रोमांटिक फिल्मों का निर्माण भी किया, लेकिन ज्यादातर फिल्मों में देशभक्ति प्रमुख रही। फिल्म शोर का ज़िक्र जरूरी है जिसमें जिंदगी के फलसफे को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है। इसका गाना “एक प्यार का नगमा है…” आज भी लोगों की जुबान पर है।
मनोज कुमार की फिल्में न सिर्फ मनोरंजन का साधन थीं, बल्कि उनमें समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी का संदेश भी होता था। यही वजह है कि वह एक बड़े शोमैन के तौर पर भारतीय सिनेमा में हमेशा याद किए जाएंगे।